🛰️ सैटेलाइट कैसे काम करता है?
GPS से लेकर टीवी तक, जानिए इनकी अंदर की पूरी तकनीक!
🌍 भूमिका
हम जब भी मोबाइल से कॉल करते हैं, टीवी पर चैनल देखते हैं, GPS से रास्ता खोजते हैं या मौसम की जानकारी लेते हैं — तो ये सब संभव होता है सैटेलाइट की मदद से। लेकिन आखिर ये सैटेलाइट काम कैसे करता है? चलिए जानते हैं विस्तार से।
🛰️ सैटेलाइट क्या होता है?
सैटेलाइट (Satellite) का मतलब है - “उपग्रह”। यह एक ऐसा यंत्र है जो पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह की कक्षा (orbit) में घूमता रहता है। ये दो प्रकार के होते हैं:
- प्राकृतिक सैटेलाइट – जैसे चंद्रमा (Moon)
- कृत्रिम सैटेलाइट – जैसे INSAT, GSAT, Starlink आदि, जिन्हें इंसान द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया है।
⚙️ सैटेलाइट कैसे काम करता है?
सैटेलाइट का कार्य करने का तरीका इस पर निर्भर करता है कि वह किस काम के लिए भेजा गया है। सामान्यतः इसका कार्य 3 चरणों में बंटा होता है:
1️⃣ सिग्नल प्राप्त करना (Receiving)
सैटेलाइट पृथ्वी से भेजे गए सिग्नल्स को अपने एंटीना के माध्यम से पकड़ता है। उदाहरण: टीवी चैनल्स, मोबाइल कॉल, इंटरनेट डेटा आदि।
2️⃣ सिग्नल को संसाधित करना (Processing)
सैटेलाइट में लगे ट्रांसपोंडर (Transponders) उस सिग्नल को प्रसंस्करित (process) करते हैं। यह सिग्नल को amplify (मजबूत) और modify (बदलकर) करता है।
3️⃣ सिग्नल को पुनः भेजना (Transmitting Back)
प्रसंस्करित सिग्नल को पृथ्वी पर किसी अन्य लोकेशन पर वापस भेज दिया जाता है। इससे कम्युनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग या नेविगेशन संभव होता है।
🛰️ सैटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं?
- संचार उपग्रह (Communication Satellites) - जैसे GSAT, INSAT – जो TV, मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं के लिए होते हैं।
- मौसम उपग्रह (Weather Satellites) - जैसे Kalpana-1 – जो बादलों, तूफानों, वर्षा आदि का पूर्वानुमान देते हैं।
- नेविगेशन उपग्रह (Navigation Satellites) - जैसे NAVIC, GPS – जो लोकेशन ट्रैक करने के लिए होते हैं।
- सैन्य उपग्रह (Military Satellites) - जैसे RISAT – जो जासूसी, निगरानी और सुरक्षा के लिए उपयोग होते हैं।
- अनुसंधान उपग्रह (Research Satellites) - जैसे Astrosat – जो खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए होते हैं।
🧠 सैटेलाइट में कौन-कौन से मुख्य हिस्से होते हैं?
- सोलर पैनल – ऊर्जा के लिए
- बैटरी सिस्टम – ऊर्जा भंडारण के लिए
- एंटीना – सिग्नल भेजने और पाने के लिए
- प्रणाली नियंत्रण – दिशा और गति नियंत्रित करने के लिए
- पेलोड – मिशन से संबंधित उपकरण
🌀 सैटेलाइट कैसे कक्षा (Orbit) में बना रहता है?
पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति सैटेलाइट को अपनी ओर खींचती है, वहीं सैटेलाइट की गति उसे बाहर की ओर धकेलती है। ये दोनों बल संतुलन में आते हैं, जिससे सैटेलाइट एक निश्चित कक्षा में लगातार घूमता रहता है।
🔋 सैटेलाइट को ऊर्जा कहाँ से मिलती है?
सैटेलाइट में सोलर पैनल लगे होते हैं जो सूर्य की किरणों से बिजली बनाते हैं। यह ऊर्जा बैटरियों में स्टोर होती है, जिससे सैटेलाइट लगातार काम करता रहता है।
📡 सैटेलाइट और पृथ्वी के बीच संपर्क कैसे होता है?
ग्राउंड स्टेशन (Earth Station) के माध्यम से — ये बड़े-बड़े एंटीना होते हैं जो सैटेलाइट से डेटा प्राप्त करते हैं और सिग्नल भेजते हैं। ये संचार रेडियो वेव्स के ज़रिए होता है।
🛰️ भविष्य में सैटेलाइट्स की भूमिका
- 6G कम्युनिकेशन
- ग्लोबल इंटरनेट नेटवर्क (जैसे Starlink)
- स्पेस डिफेंस सिस्टम
- स्पेस टूरिज्म और एक्सप्लोरेशन
- कृषि, जलवायु और पर्यावरण निगरानी
✅ निष्कर्ष
सैटेलाइट हमारी जिंदगी का एक ऐसा अदृभुत अविष्कार है जिसने पूरे विश्व को एक-दूसरे से जोड़ा है। आज हर क्षेत्र में – शिक्षा, सुरक्षा, मौसम, संचार, स्वास्थ्य – सैटेलाइट की भूमिका अहम हो चुकी है। आने वाले समय में इसका इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ने वाला है।