गुस्सा क्यों आता है?, कैसे कंट्रोल करें?Why do we get angry? How to control it?

गुस्सा(Anger)

  किसी भी व्यक्ति को गुस्सा आना स्वाभाविक होता है पर कुछ लोग सामान्य व्यक्तियों से अलग होते हैं। 


कुछ लोगों को छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा आता है |अधिकतर केस में उनकी गलती नहीं होती,  मेरा मतलब वह भी गुस्सा करना नहीं चाहते, पर फिर भी उन्हें गुस्सा आ जाता है| सरल भाषा में कहीं तो उनका अपने गुस्से पर कंट्रोल यानी नियंत्रण ही नहीं होता|

समानता ऐसे गुस्सा दो तरह के लोगों को आते हैं, पहले वह जो अपना रौब दिखाने के लिए गुस्सा करते हैं | यह चाहे तो अपने गुस्से पर नियंत्रण कर सकते हैं, पर यह करना नहीं चाहते|

 दूसरे वे जो चाह कर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाते, स्थिति ही ऐसी आती है कि उनका गुस्सा बाहर आ ही जाता है|

यह आर्टिकल दूसरे तरह के लोगों को ज्यादा फायदा देगा|

 वैसे आपकी नजर में कोई ऐसे व्यक्ति हैं तो उनके साथ हुई घटना को कमेंट में जरूर बताएं।

तो बात यह है कि दूसरे तरीके के लोगों को यह समझना जरूरी है कि किसी भी व्यक्ति के अंदर मुख्य रूप से 4 प्रकार स्वभाव ही होते हैं। उनमें से एक गुस्सा यानी क्रोध  भी होता है, हालांकि सभी स्वभाव अच्छे होते हैं पर कुछ स्वभाव की एक सीमा और समय होता है।

जैसी स्थिति ऐसा होगा कि आपका गुस्सा करना जायज हो, तो वह गलत या नुकसानदायक नहीं है, पर गुस्सा एक सीमा तक होना चाहिए। इसका असल कारण यही है , लोग अपने गुस्से का सीमा ही भूल जाते हैं| उस वक्त उन्हें पता ही नहीं चलाता कि गुस्सा कब और कितना करना है|

 तो अब इसे नियंत्रण में करने की उपाय की बात करें तो उपाय तो बहुत सारे हैं, पर सबसे सफल उपाय यह पांच (5) ही हैं।

पहला उपाय है

 रोज 5 मिनट का ध्यान- यह बात भले ही आपको बेकार लगे कि हर कोई यही बताता है कि "ध्यान करो ध्यान करो" भला ध्यान करने से कुछ होता है| तो मैं आपको बता दूं कि कुछ चीज होती हैं जिसे करने से उसका असर तुरंत नहीं होता पर जब होता है तो ब्रह्मास्त्र का काम करता है|

वो कहते हैं ना कि

 "एक दिन में नहीं होगा, पर एक दिन जरूर होगा"

दूसरा उपाय हैं

उस बात पर सोचना - देखिए आपको जब भी गुस्सा आ जाए और आप नियंत्रण खो जाओ, तो शांत होने के बाद एक बार अपने मन से उसे बात पर जरूर सोचिएगा, की क्या आपका गुस्सा उसे वक्त जायज था और क्या उसकी मात्रा ठीक थी यानी ज्यादा गुस्सा तो नहीं हो गया और एक बार खुद को उनके  जगह पर भी रख कर देखिए|

तीसरा उपाय है

2 मिनट का बाद - यह एक सटीक उपाय हैं गुस्सा को तुरंत रोकने का। जब गुस्सा काबू से बाहर होने लगे तो बस अपने मन में अपने ही मन को बोलिए 2 मिनट बाद गुस्सा होना अभी नहीं 2 मिनट बाद यह तब तक बोलिए जब तक आपका गुस्सा शांत ना हो जाए और हां साथ में यह  कि शांत या रिलैक्स भी बोलिए यानी यह बोलिए कि शांत! 2 मिनट बाद गुस्सा करूंगा।

चौथा उपाय हैं 

गिनती करना- जब गुस्सा आए तो उल्टी गिनती या अपने पांचो उंगलियों को गिनते रहे (जैसे बचपन में पिताजी कुछ जोड़ने को बोलते थे तो 10 उंगलियां ऊपर आ जाती थी फिर जोड़ना घटाना शुरू )|

पांचवा उपाय हैं 

अलग नजरिया -अक्सर जब बच्चों से गलतियां होती हैं तो हम खूब गुस्सा करते हैं पर जरा सा नजरिया बदलने से उस

गलतियां औरमासूमियत भरी शरारत को देखकर मुस्कुराहट नहीं रुकेगी और अपनें बचपन के दिन याद आ जाएंगे |

सलाह

 अधिकतर लोगों को बुजुर्गों पर बहुत गुस्सा आता है| मानो उन्हें देखकर घिन्न लगता है। पर याद रखिए सबको कभी ना कभी वृद्धि होना ही है। जब लोग बूढ़े होने लगते हैं तो उनका दिमाग भी बच्चों जैसा होने लगता है तो कृपया एक बार उनकी हरकतों को एक बच्चे की नजर से देखिए।

वो कहते हैं ना

 "प्रॉब्लम्स तो है सबके साथ बस नजरिया की है बात" 

तो अपना नजरिया और अपना सोच बदलिए खुदको नहीं |

तो अगर आपकी नजर में कोई क्रोधी रहते हैं तो यह पोस्ट करके लिखिए - अंकल ! जस्ट चील

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