एस्टेरॉयड: ब्रह्मांड के चट्टानी खगोलीय पिंड
परिचय
एस्टेरॉयड छोटे चट्टानी खगोलीय पिंड होते हैं, जो मुख्यतः मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं। इन्हें छोटे ग्रह या ग्रहाणु भी कहा जाता है और ये सौरमंडल के निर्माण के समय की शेष सामग्री हैं।
1. एस्टेरॉयड की संरचना
- चट्टानों, धातुओं और खनिजों से बने होते हैं।
- कुछ में लोहा व निकेल, तो कुछ में कार्बन-युक्त पदार्थ होते हैं।
- आकार — कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक।
2. एस्टेरॉयड के प्रकार
(A) C-प्रकार (Carbonaceous)
75% एस्टेरॉयड इस वर्ग में। कार्बन-युक्त, गहरे रंग के।
(B) S-प्रकार (Silicaceous)
सिलिकेट और धातु-युक्त, सौरमंडल के भीतरी भाग में अधिक।
(C) M-प्रकार (Metallic)
लोहे और निकेल से बने — चमकदार और घने।
3. प्रसिद्ध एस्टेरॉयड
- सीरीस (Ceres): सबसे बड़ा एस्टेरॉयड, अब बौना ग्रह।
- वेस्टा (Vesta): नग्न आँखों से देखा जा सकने वाला एस्टेरॉयड।
- इरोस (Eros): पृथ्वी के पास आने वाला एस्टेरॉयड।
- एपोफिस (Apophis): संभावित खतरा — 2029 और 2036 में पृथ्वी के निकट।
4. एस्टेरॉयड और पृथ्वी पर प्रभाव
- टकराव से विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं।
- 66 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर का अंत — चिक्सुलुब क्रेटर।
- नासा और अन्य एजेंसियाँ सतत निगरानी करती हैं।
5. अध्ययन और अंतरिक्ष मिशन
- डॉन मिशन: सीरीस और वेस्टा का अध्ययन।
- OSIRIS-REx: बेन्नू से सैंपल एकत्रित किया।
- हायाबूसा-2: जापान द्वारा रयुगु से सैंपल लाया गया।
- DART मिशन: एस्टेरॉयड की दिशा बदलने का सफल परीक्षण।
निष्कर्ष
एस्टेरॉयड हमारे सौरमंडल के प्राचीन अवशेष हैं, जो ग्रहों के विकास, ब्रह्मांडीय सुरक्षा और भविष्य के संसाधन के लिए बेहद अहम हैं। इनका अध्ययन वैज्ञानिक, आर्थिक और सुरक्षात्मक दृष्टि से उपयोगी है।
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