🚀 रॉकेट कैसे काम करता है?
🌌 भूमिका
जब हम अंतरिक्ष की बात करते हैं, तो सबसे पहला ज़िक्र रॉकेट्स का होता है। यही वे शक्तिशाली यंत्र हैं जो उपग्रहों, वैज्ञानिकों और स्पेस स्टेशन तक सामान को अंतरिक्ष में ले जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रॉकेट वास्तव में उड़ता कैसे है?
🛠️ रॉकेट क्या होता है?
रॉकेट एक विशेष प्रकार का वाहन होता है जो प्रोपल्शन सिस्टम यानी प्रणोदन प्रणाली के माध्यम से खुद को ज़मीन से ऊपर उठाता है। यह तेज़ गति से हवा या अंतरिक्ष के विरुद्ध जाकर सैटेलाइट या अंतरिक्ष यान को निर्धारित कक्षा में पहुँचाता है।
⚙️ रॉकेट का सिद्धांत: न्यूटन का तीसरा नियम
हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
रॉकेट जब नीचे की ओर गैसें ज़ोर से छोड़ता है, तो वही गैसें उसे ऊपर की ओर धकेलती हैं।
🔥 ईंधन और इंजन कैसे काम करते हैं?
- 🟠 ठोस ईंधन (Solid Propellant): मिसाइलों में आम तौर पर प्रयोग होता है।
- 🔵 तरल ईंधन (Liquid Propellant): जैसे क्रायोजेनिक ईंधन, जो अंतरिक्ष मिशनों में इस्तेमाल होता है।
जब ईंधन जलता है, तब यह उच्च दबाव और तापमान वाली गैस उत्पन्न करता है, जिसे नोज़ल से बाहर फेंका जाता है — यही थ्रस्ट बनाता है।
🧩 रॉकेट के मुख्य हिस्से
- 🚀 प्रोपल्शन सिस्टम – थ्रस्ट बनाने के लिए
- 🛢️ फ्यूल टैंक – ईंधन रखने के लिए
- 🛰️ पेलोड – उपग्रह या यान
- 🧭 गाइडेंस सिस्टम – दिशा और नियंत्रण के लिए
- 📦 स्टेजेस – जैसे PSLV में कई चरण होते हैं
🛰️ रॉकेट कैसे अंतरिक्ष में जाता है?
रॉकेट ज़मीन से धीरे-धीरे ऊपर उठता है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, वातावरण पतला होता जाता है और वायुरोधक शक्ति घटती है। रॉकेट एक-एक करके अपने स्टेज (Stages) गिराता है और अंततः केवल अंतिम हिस्सा (पेलोड) कक्षा में प्रवेश करता है।
🧠 निष्कर्ष
रॉकेट विज्ञान अद्भुत और जटिल है। यह विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग का सुंदर संगम है जो मानवता को ब्रह्मांड की सीमाओं से परे ले जाता है। आने वाले समय में reusable रॉकेट्स जैसे SpaceX’s Falcon 9 इस क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं।